4 अक्तूबर 2012

ग़ज़ल

जब सपना टूट कोई जाता है, दुःख होता है.
जब अपना रूठ कोई जाता है ,दुःख होता है.

कितनी मेहनत से पलते-बढ़ते पौधे
विरवा सूख जब  जाता है,दुःख होता है.

विश्वासों से बने दिलों के मंदिर में
बोला झूठ जब जाता है,दुःख होता है

जीवन की उतरती साँझ में जीवन-साथी का
साथ छूट  जब जाता है,दुःख होता है.

सपनों के पावन अनमोल खजाने को
गैर लूट जब जाता है,दुःख होता है.

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