हर कोई चाहता है कि उसकी भी कोई अपनी पहचान हो. आज के समाज में नारी के सन्दर्भ में यह बात और भी जरूरी हो जाती है. अस्मिता की तलाश में ही......
31 अक्टूबर 2012
अस्मिता: ग़ज़ल
अस्मिता: ग़ज़ल: रिश्ते कहने से क्या बदलते हैं? ये तो ताउम्र साथ चलते हैं। शायरी और किसे कहते हैं। आंसू ही गीत बन के ढलते हैं। उन के आगे क्या गिडगिड...
ग़ज़ल
रिश्ते कहने से क्या बदलते हैं?
ये तो ताउम्र साथ चलते हैं।
शायरी और किसे कहते हैं।
आंसू ही गीत बन के ढलते हैं।
उन के आगे क्या गिडगिडाते हो
कभी पत्थर भी क्या पिघलते हैं/
अक्ल से काम ले दिल पे न जा।
दिल तो बच्चों से हैं मचलते हैं।
अजीब दौर है आये दिन ही
हादसे होते - होते टालते हैं।
वक्त पे तुम भी सम्भल जाओगे
कदम हर शख्स के फिसलते हैं।
ये तो ताउम्र साथ चलते हैं।
शायरी और किसे कहते हैं।
आंसू ही गीत बन के ढलते हैं।
उन के आगे क्या गिडगिडाते हो
कभी पत्थर भी क्या पिघलते हैं/
अक्ल से काम ले दिल पे न जा।
दिल तो बच्चों से हैं मचलते हैं।
अजीब दौर है आये दिन ही
हादसे होते - होते टालते हैं।
वक्त पे तुम भी सम्भल जाओगे
कदम हर शख्स के फिसलते हैं।
13 अक्टूबर 2012
स्वयंवर
स्वयंवर
जो हुआ था अम्बा,अम्बिका,अम्बालिका का
सीता और द्रौपदी का
क्या वास्तव में स्वयंवर था क्या?
अगर था,
तो क्या थी स्वयंवर की परिभाषा ?
स्वेछित वर चुनने का अधिकार
अथवा
कन्या का नीलामी युक्त प्रदर्शन!
जिसमे इच्छुक उमीदवार
धनबल की अपेक्षा
लगाते थे अपना बाहू-बल
दिखाते थे अपना पराक्रम और कौशल
और जीत ले जाते थे कन्या को
भले ही उसकी सहमति हो या न हो.
तभी तो उठा लाया था भीष्म
उन तीन बहनों को
अपने बीमार,नपुंसक भाइयों के लिए
और अर्जुन ने बाँट ली थी याज्ञसेनी
अपने भाइयों में बराबर
वास्तव में ही अगर
स्वयंवर का अधिकार
नारी को मिला होता
तो अम्बा की
आत्म(हत्या) का बोझ
इतिहास न ढोता.
महाविध्वंस्कारी,महाभारत का
महायुद्ध न होता
और हमारी संस्कृति, हमारा इतिहास
कुछ और ही होता .
हाँ! कुछ और ही होता .
4 अक्टूबर 2012
ग़ज़ल
जब सपना टूट कोई जाता है, दुःख होता है.
जब अपना रूठ कोई जाता है ,दुःख होता है.
कितनी मेहनत से पलते-बढ़ते पौधे
विरवा सूख जब जाता है,दुःख होता है.
विश्वासों से बने दिलों के मंदिर में
बोला झूठ जब जाता है,दुःख होता है
जीवन की उतरती साँझ में जीवन-साथी का
साथ छूट जब जाता है,दुःख होता है.
सपनों के पावन अनमोल खजाने को
गैर लूट जब जाता है,दुःख होता है.
जब अपना रूठ कोई जाता है ,दुःख होता है.
कितनी मेहनत से पलते-बढ़ते पौधे
विरवा सूख जब जाता है,दुःख होता है.
विश्वासों से बने दिलों के मंदिर में
बोला झूठ जब जाता है,दुःख होता है
जीवन की उतरती साँझ में जीवन-साथी का
साथ छूट जब जाता है,दुःख होता है.
सपनों के पावन अनमोल खजाने को
गैर लूट जब जाता है,दुःख होता है.
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