किसे नहीं होती
चाह अभिव्यक्ति की
बीज विटप बन
अभिव्यक्त ही तो होता है.
मंजुल पुष्पों के रूप में
डालियों पर
अपनी अभिव्यक्ति ही तो पिरोता है.
कोयल की कुहुक में भी तो
झांकती है उसकी अभिव्यक्ति ही
यही अभिव्यक्ति है
उसके जीवन की शक्ति भी.
यही अभिव्यक्ति
नदियों, झरनों का मधुर गान है.
ईश्वर की सृष्टि का
अनुपम वरदान है.
सो अभिव्यक्त करो तुम भी स्वयं को
मत रहो उहापोह में,
देखो, जीवन सुरमय है
आरोह में हो या अवरोह में.
चाह अभिव्यक्ति की
बीज विटप बन
अभिव्यक्त ही तो होता है.
मंजुल पुष्पों के रूप में
डालियों पर
अपनी अभिव्यक्ति ही तो पिरोता है.
कोयल की कुहुक में भी तो
झांकती है उसकी अभिव्यक्ति ही
यही अभिव्यक्ति है
उसके जीवन की शक्ति भी.
यही अभिव्यक्ति
नदियों, झरनों का मधुर गान है.
ईश्वर की सृष्टि का
अनुपम वरदान है.
सो अभिव्यक्त करो तुम भी स्वयं को
मत रहो उहापोह में,
देखो, जीवन सुरमय है
आरोह में हो या अवरोह में.
it is good to see you are expressing yourself.
जवाब देंहटाएंDeepak
यही अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंनदियों, झरनों का मधुर गान है.
ईश्वर की सृष्टि का
अनुपम वरदान है.
bahut hi sunder aur prabhvi abhivykti Dr. poonamji....
सो अभिव्यक्त करो तुम भी स्वयं को
जवाब देंहटाएंमत रहो उहापोह में,........
प्रेरणादायी ..अच्छी लगी आपकी रचना !